Thursday, August 21, 2014

ग़ज़ल और उसकी मर्यादा - 2

दोस्तों http://www.harashmahajan.blogspot.in/ .....मेरा ओरिजिनल ब्लॉग जहां मैंने पहले भी ग़ज़ल और कविताओं के बारे में काफी कुछ शेयर करने की कोशिश की थी ........ लेकिन बहुत से रीडर्स के आग्रह पर ये exclusive ब्लॉग ग़ज़ल पर ही शुरू करने की कोशिश कर रहा हूँ | और एक बात मैं एक बार फिर बता देना चाहता हूँ....इन्टरनेट माध्यम सीखने के लिए एक बहुत ही उपयुक्त सौर्स है ..जहां मैंने अपनी विद्या में काफी इजाफा किया.....और ग़ज़ल पर लेख लिखने में इस माध्यम से मैंने बहुत कुछ लिया भी है....जो आपके समक्ष पेश भी करूंगा ,मुझे उम्मीद है आप सभी को अपनी लेखनी को सुधारने में ये लेख फायदेमंद नज़र आएगा....!!

ग़ज़ल को प्रभावी किस तरह बनाया जाए .....इसमें कई बाते ध्यान रखने योग्य होती हैं | सबसे पहले कुछ भी लिखने/कहने  से पहले ये बात ध्यान में रखनी होगी कि जो भी कहें इस तरह कहें कि रीडर्स को ये लगे की उन्हें समझने में कोई दिक्कत नहीं आ रही....और वो उसी अहसास के साथ समझ रहे हैं जिस अहसास में आपने कही है | आने वाला समय हिंदुस्‍तानी भाषा का है और आने वाले समय में  वही कविता या ग़ज़ल पसंद की जाएगी जो आम आदमी की भाषा में बात करेगी । हमें ग़ज़ल कहते समय इस बातकी चिंता नहीं करनी है.की लफ्ज़ उर्दू में है या हिंदी में है....चिंता इस बात की करनी है की जो भी शब्द हम अपनी रचना में इस्तेमाल कर रहे हैं वो जनता में उस हद तक पहुँच रहे हैं कि नहीं ..जिस हद के लिए हमने कहे....मतलब ...ग़ज़ल को उस भाषा में कहा जाए जिस भाषा में जनता समझ पाए और विशेष बात जो ग़ज़ल में बहुत ज़रूरी है ...व्याकरण ! ग़ज़ल में भाव और शब्‍द के साथ व्‍याकरण का समावेश भी उतना ही अहम् है | आखिर में जो बात बहुत अहम् और ज़रूरी है वो है उसका प्रस्तुति करण | ग़ज़ल में सब कुछ होते हुए अगर उसका प्रस्तुति करण ही सही नहीं है तो ग़ज़ल का मज़ा ही जाता रहेगा और आजकल मुशायरों में भी हिंदी और आसान उर्दू के शब्‍दों वाली ग़ज़ल को ही ज्‍़यादा पसंद किया जाता है । फारसी के मोटे मोटे शब्‍द अब लोगों को समझ में ही नहीं आते हैं तो दाद कहां से दें ।
तो इस लिए दोस्तों कामयाब ग़ज़ल कहने के लिए  चार चीज़ें महत्व पूर्ण  हैं, विचार, शब्‍द, व्‍याकरण और प्रस्‍तुतिकरण ।

आज के लिए बस इतना ही ---ग़ज़ल और उसकी मर्यादा - 3  में फिर से मिलने के लिए उसका इंतज़ार !!!



Wednesday, August 20, 2014

ग़ज़ल और उसकी मर्यादा - 1

दोस्तों ये ब्लॉग ग़ज़ल और उसकी मर्यादाओं को समझने के पर्यास की ओर एक कदम है | ग़ज़ल कहना एक बहुत ही मुश्किल प्रक्रिया है, ऐसा माना जाता है | मैं ग़ज़ल कहने में कोई ज्ञानी  तो नहीं हूँ , मगर इतना आवश्य कहूँगा कि इस मुताल्लक जितनी भी जानकारी मुझ में है उसको आपके साथ शेयर  करने की कोशिश करूंगा | ये ब्लॉग सिर्फ उन सीखने वालों के लिए है जो दिल से ग़ज़ल कहना चाहते हैं | ग़ज़ल के अच्छे जानकारों के लिए ये स्थान उपयुक्त नहीं है बल्कि वो अपनी कलम का ज्ञान यहाँ ज़रूर शेयर कर सकते हैं |